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24 मार्च को 10.30 बजे के बाद होगा होलिका दहन
आचार्य निशिकांत पाठक ने कहा कि इस साल पूर्णिमा तिथि दो दिन है. पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9:23 मिनट से शुरू होकर 25 मार्च को सुबह 11:31 मिनट तक रहेगी. ऐसे में होलिका दहन 25 मार्च को करना संभव नहीं है. इसलिए होलिका दहन 24 मार्च को होगी. बताया कि होलिका दहन का मुहूर्त तीन चीजों पर निर्भर करता है. पहला पूर्णिमा तिथि, दूसरा प्रदोष काल और तीसरा भद्रा न हो. बताया कि पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन करना जरूरी है. निशिकांत पाठक ने कहा कि पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल में यानी भद्रा के आखिरी समय में होलिका दहन करना काफी शुभ माना जाता है.होलिका की राख से करें ये उपाय, बनेंगे बिगड़े काम
alt="" width="600" height="375" /> परिवार को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए होलिका दहन की राख बड़े काम की मानी जाती है. होलिका दहन के अगले दिन सुबह ये राख घर लाये. इसमें नमक और राई मिलाकर घर में गुप्त स्थान पर रख दें. अगर किसी को नजर दोष है तो उसके सिर से सात बार होलिका राख उतारकर चौराहे पर फेंक दें. अगर आप राहु-केतु की पीड़ा से परेशान हैं या फिर शनि की महादशा के कारण आपके बने हुए काम बिगड़ जा रहे हैं तो एक मुठ्ठी होलिका की राख को शिवलिंग पर चढ़ायें. इससे आपके बिगड़े काम बनेंगे. ऐसा कहते हैं कि होलिका की राख को शिवलिंग पर चढ़ाने से वैवाहिक जीवन भी खुशहाल रहता है. साथ ही व्यापार और नौकरी में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.
होलिका दहन का महत्व
alt="" width="600" height="400" /> हिंदू धर्म के अनुसार, होलिका दहन का पौराणिक और धार्मिक महत्व दोनों ही है. क्योंकि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है. इस दिन होलिका दहन की विधिवत पूजा की जाती है और अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. होलिका दहन में अग्नि देवता को धन्यवाद देते हैं. साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं.
होलिका दहन की पूजा विधि
alt="" width="600" height="400" /> होलिका की पूजा से पहले भगवान नरसिंह और प्रहलाद का ध्यान करें. इसके बाद होलिका में फूल, माला, अक्षत, चंदन, साबुत हल्दी, गुलाल, पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां आदि चढ़ा दें. इसके साथ ही भोग लगा दें. फिर कच्चा सूत लपेटते हुए होलिका के चारों ओर परिवार के साथ मिलकर परिक्रमा कर लें. इसके बाद होलिका में जल का अर्घ्य दें और सुख-समृद्धि की कामना करें. फिर सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका दहन करें. होलिका दहन के समय अग्नि में कंडे, उबटन, गेहूं की बाली, गन्ना, चावल आदि अर्पित करें. इसके साथ ही होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे में लगाने के साथ पूरे शरीर में लगाएं. ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से छुटकारा मिलेगा.